केपटाउन में राशन पर मिलता है पानी, पीढ़ी पूछेगी पूर्वजों ने कुछ नहीं छोड़ाः पद्म भूषण डॉ. अनिल

यमुना मर रही है। पानी काले रंग से भी बदतर हो चुका है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 में अधिकतर शहर पानी के विकट संकट से जूझ रहे होंगे। आने वाले समय में हमें तर्पण के लिए भी पानी नहीं मिलेगा। भविष्य की पीढ़ी यह प्रश्न करेगी कि हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए पानी भी नहीं छोड़ा। प्रकृति हमें दण्डित कर रही है। कोरोना वाइरस उसी का परिणाम है।


आगरा कॉलेज में जन्तु विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि प्रसिद्घ पर्यावरणविद्, पदमश्री व पदम भूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने यह विचार रखे। सम्मेलन का विषय था 'पर्यावरण एवं जैव विविधता' इक्कीसवी सदीं में चुनौतियां व उपाय।

शुभारम्भ पर्यावरणविद एवं प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी ने किया। डॉ. अनिल प्रकाश ने कहा कि मनुष्य ने विकास के नाम पर विध्वंस रचा। आने वाले समय में दुनिया का 52 प्रतिशत आर्थिक विकास इसलिए संकट में पड़ जाएगा क्योंकि प्राकृतिक संसाधन निरंतर नष्ट हो रहे हैं। पृथ्वी पर आज तक जीव-जन्तुओं की सटीक गिनती नहीं हुई है, जो भी आंकड़े मिलते हैं वे सभी काल्पनिक हैं।